ग्रीष्म ऋतु रूक्ष, तपाने व झुलसानेवाली, शरीर की क्षमता व स्निग्धता को कम करने वाली होती है। इस समय शरीर को शीतलता व तरावट देने वाला आहार-विहार आवश्यक होता है। विज्ञापनों के बहकाये में आकर लोग सॉफ्ट ड्रिंक्स के रूप में अपने लिये जहर खरीद लेते हैं। इन हानिकारक व दूषित डिब्बाबंद शीतल पेयों की अपेक्षा घर में बनाया गया शरबत, फलों का रस, कच्चे आम का पना एवं ताजी लस्सी शुद्ध, सात्त्विक एवं पौष्टिक होती है। अतः विज्ञापनबाजी से प्रभावित न होकर अपने धन एवं स्वास्थ्य दोनों को विनष्ट होने से बचायें। कुछ शरबत घर पर आसानी से बनाये जा सकते हैं।
नींबू का शरबतः यह पित्त विकार, मंदाग्नि, अरूचि, प्यास, उबकाई, अजीर्ण, कब्ज, और रक्त-विकार आदि दूर करता है। इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है तथा शरीर में तरावट आती है।
विधिः नींबू के रस में ढाई गुनी मिश्री मिला के चाशनी बनायें और गरम-गरम ही छान के काँच की बोतल में भर लें। एक गिलास पानी में दो चम्मच शरबत घोलकर दोपहर भोजन के 1-2 घंटे बाद उपयोग करें।
केवड़ा शरबतः यह शीतल, कफ-पित्तशामक, विषनाशक, मस्तिष्क एवं ज्ञानेन्द्रियों के लिए बलप्रद व हृदय की तेज धड़कन को नियंत्रित करने वाला होता है। महिलाओं के अत्यधिक मासिकस्राव व गर्भस्राव में अत्यन्त लाभप्रद है।
विधिः एक लीटर पानी में 250 ग्राम केवड़े के फूल आसानी से मसल लें, फिर उसमें डेढ़ किलो मिश्री व 5 ग्राम नींबू का रस डालकर उबालें। गाढ़ी चाशनी बना के काँच की बोतल में भर लें। एक गिलास पानी में 2 चम्मच शरबत घोलकर दिन में 1-2 बार पियें।
इसी प्रकार केवड़े के स्थान पर खसखस का शरबत भी बना सकते हैं, जो गर्मी में अत्यन्त लाभकारी है।
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स्वास्थ्यकर आवश्यक बातें
नीम की 20-25 कोमल पत्तियाँ चबाकर खाने से सभी तरह के रक्त विकार शांत होते हैं।
फोड़े-फुंसियों पर नीम की पत्तियाँ पीसकर लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
नीम की दातुन करने से दाँत व मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
कच्चे आलू काटकर चेहरे पर रगड़ने से त्वचा चमक उठती है।
लू का प्रकोप नष्ट करने के लिये प्याज के रस से कनपटियों तथा सीने पर मालिश करें।
सूखा धनिया पानी में उबाल व छानकर पीने से गैस में आराम मिलता है। पेट की गर्मी से मुँह में छाले पड़ने पर चने के सत्तू को पानी में घोल के, मिश्री व घी मिलाकर पीने से छाले ठीक हो जाते हैं।
उड़द की दाल में देशी घी डालकर खाने से स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में वृद्धि होती है।
नीम और बेर की पत्तियाँ पानी में उबालकर उस पानी से सिर धोने से असमय बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
पानी में सौंफ उबालकर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहने से ज्वर की तीव्रता कम होती है।
जीरे को भूनकर चबाने से मुँह से आने वाली दुर्गंध दूर हो जाती है।
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, अप्रैल 2011, पृष्ठ संख्या 15, अंक 166
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