शनिवार, 4 दिसंबर 2010

ये कैसा है जादू समझ में न आया, गंदी आदत को पल भर में छुड़ाया


मैं 2005 से पूज्य  संतश्री  आसाराम  बापूजी  प्रणित 'बाल संस्कार केन्द्र' चला रही हूँ, जिससे मुझे बहुत लाभ हुआ है। मेरा जो समय पहले इधर-उधर की व्यर्थ बातों में जाता था, वह अब सेवा में लगता है, जिससे मुझे बहुत शांति का एहसास होता है। बाल संस्कार केन्द्र चलाने से बच्चों जैसी निखालिसता, निर्दोषता, सरलता जैसे दैवी गुण सहज में आने लगते हैं।
हमारे बाल संस्कार केन्द्र में रीतू बैरागी नाम की एक छठी कक्षा की बच्ची आती थी। वह दिन भर में 10-15 गुटखे के पैकेट खा जाती थी। एक दिन वह बाल संस्कार केन्द्र में लगे पूज्य बापू जी के श्रीचित्र को देखते हुए कहने लगी की 'बापू जी ! मेरी गुटखा खाने की आदत छुड़ा दो, तभी मैं आप पर विश्वास कर पाऊँगी।' उस बच्ची पर गुरुदेव की ऐसी कृपा हुई कि उसी दिन से उसके मन में गुटखे के प्रति घृणा उत्पन्न हो गयी। उसका गुटखा खाना छूट गया। अभी 2 वर्ष से उसने गुटखे की ओर देखा तक नहीं है।
पूज्य बापू जी की करूणा-कृपा का वर्णन मैं किन शब्दों में करूँ, जिनकी कृपा से हमको घर बैठे ऐसी सेवा करने का अवसर मिल रहा है ! बाल संस्कार केन्द्र चलाने से बच्चों को तो लाभ मिलता ही है, साथ ही चलाने वालों को भी बहुत-बहुत लाभ होता है। पूज्य श्री के श्रीचरणों में कोटि-कोटि वंदन !
पुष्पा ज्योतिषी, मण्डला (म.प्र.)., मो. 07642251968
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, अक्तूबर 2010, पृष्ठ संख्या 14, अंक 160
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