शनिवार, 4 दिसंबर 2010

तुलसी के लाभकारी प्रयोग



कान के रोगों में- तुलसी की पत्तियों को ज्यादा मात्रा में लेकर सरसों के तेल में पकायें। पत्तियाँ जल जाने पर तेल उतारकर छान लें। ठण्डा होने पर इस तेल की 1-2 बूँद कान में डालने से कान के रोगों में लाभ होता है।
खाँसीः तुलसी के रस में अदरक का रस व शहद मिलाकर चाटने से सभी प्रकार की खाँसी में लाभ होता है।
तुलसी की मंजरी का चूर्ण बनाकर शहद के साथ चाटने से कफ, खाँसी दूर होगी तथा सीने की खरखराहट मिटेगी।
तुलसी व अडूसे के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से पुरानी खाँसी भी ठीक हो जाती है।
कीड़े, मच्छर काटने परः तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस पानी में मिलाकर पियें एवं तुलसी पीसकर कर कीड़े के काटे भाग पर लगायें।
तुलसी के पत्तों को नमक के साथ पीसकर लगाने से भौंरा, बर्र, बिच्छू के दंश की वेदना व जलन शीघ्र मिट जाती है।
सिरदर्द मिटाने के लिए सरल उपाय
लौकी का गूदा सिर पर लेप करने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है। सोंठ, तेजपत्ता, काली मिर्च, अर्जुन, इलायची, दालचीनी आदि से बनी आयुर्वेदिक चाय में दूध की जगह नींबू मिलाकर पियें और सो जायें। पेट और सिर दोनों को आराम मिलेगा।
आयुर्वेदिक चाय संत श्री आसारामजी आश्रमों व आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर भी उपलब्ध है।
पित्त से उत्पन्न सिरदर्द में खीरा काटकर सूँघने एवं सिर पर रगड़ने से तुरंत आराम मिलता है।
एक चम्मच सौंफ चबाकर दूध पी लें। पेट और सिरदर्द में लाभ होगा।
सिरदर्द में सभी उँगलियों के ऊपरी सिरों पर रबरबेंड लपेट लें, सिरदर्द एवं थकान तुरंत दूर होगी।
जलने पर क्या करें ?
पटाखे सावधानी से जलायें। जल जाने पर कच्चे आलू के पतले चिप्स जले हुए स्थान पर रखने से लाभ होता है।
मंत्रों की शक्ति दे सुख-शांति और समृद्धि
नौकरी-धंधे के लिये जाते हैं, सफलता नहीं मिलती तो इक्कीस बार श्रीमदभगवदगीता का अंतिम श्लोक बोलकर फिर घर से निकलें तो सफलता मिलेगी। श्लोकः
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिमम्।।
पीपल के पेड़ में शनिवार और मंगलवार को दूध, पानी और गुड़ मिलाकर चढ़ायें और प्रार्थना करें कि 'भगवान ! आपने गीता में कहा है 'वृक्षों में पीपल मैं हूँ।' तो हमने आपके चरणों में अर्घ्य अर्पण किया है, इसे स्वीकार करें और मेरी नौकरी धंधे की जो समस्या है वह दूर हो जाये।'
श्री हरि.. श्री हरि.... श्री हरि... थोड़ी देर जप करें। तीन बार जपने से एक मंत्र हुआ। उत्तराभिमुख होकर इस मंत्र की 1-2 माला शांतिपूर्वक करें और चलते-फिरते भी इसका जप करें तो विशेष लाभ होगा और रोजी रोटी के साथ ही शांति, भक्ति और आनन्द भी बढ़ेगा।
बस, अपने-आप समस्या हल हो जायेगी।
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, अक्तूबर 2010, पृष्ठ संख्या 13, अंक 160
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