वैज्ञानिकों का कहना है कि बैठने के ढंग का सीधा संबंध आत्मविश्वास से है। जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ टेरियर द्वारा किये गये एक शोध में पाया गया है की ढीला और झुककर बैठने के आदी लोगों की तुलना में सीधे बैठने वाले लोगों का आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ता है।
इस शोध को करने वाले विज्ञानियों ने सौ से भी अधिक लोगों को एक परीक्षण में हिस्सा लेने को कहा। प्राप्त परिणामों में पाया गया कि जो लोग सीधे बैठकर काम कर रहे थे उनका प्रदर्शन काफी अच्छा था लेकिन झुककर काम करने वालों के प्रदर्शन पर बहुत ही विपरीत असर पड़ा। विज्ञानियों का कहना है कि सीधे बैठकर काम करने से अंदर बेहतर तरीके से काम करने की भावना का जन्म होता है।
वैज्ञानिक तो अभी इस बात पर सहमत हुए हैं पर भारत के ऋषि और संत तो सदियों पहले से ही सीधे बैठने के इस नियम को विद्यार्थियों के जीवन में ढालने का निर्देश देते आये हैं। आज भी पूज्य बापू जी अपने सत्संग शिविरों में विद्यार्थियों को ही नहीं अपितु सभी को सीधे टट्टार बैठने को प्रेरित करते हैं।
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, अप्रैल 2010, पृष्ठ संख्या 7, अंक 145
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